बकरी पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें, जानकारी, लोन, निवेश, लागत, लाभ, लाइसेंस, मार्केटिंग (Goat Farming Business Plan in Hindi) (Profit, Investment, Marketing, License)
आज के समय में कई लोग एनिमल फार्मिंग करके पैसा कमा रहे हैं और यह व्यापार ऐसा है, जो आप अपने गांव घर में भी रहकर शुरू कर सकते हैं और लाभ कमा सकते हैं. आज के समय में आप बकरी पालन का व्यापार शुरू कर सकते हैं और यह व्यापार ऐसा है जिसमें आपको बकरियों के मुनाफे के साथ-साथ उसके गोबर का खाद बनाकर अपने खेत में भी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं. आइए जानते हैं, कि आप कैसे एक बकरी पालन का व्यापार शुरू करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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बकरियों की नस्ल
हमारे देश में बकरियों के विभिन्न प्रकार की नस्लें पाई जाती हैं और उन नस्लों की अलग-अलग बेचने पर कमाई होती है और वह इस प्रकार से बताई गई है.
- उस्मानाबादी :- इस नस्ल की बकरियों का पालन करने वाले लोग मांस और दूध दोनों का ही उत्पादन कर सकते हैं. उस्मानाबादी बकरी या महाराष्ट्र क्षेत्र में पाई जाती है. इस नस्ल की बकरियां वर्ष में दो बार प्रजनन करती है और यह एक बार में ट्विंस या फिर टिप्पलिंग बच्चों को जन्म दे सकती हैं. इस नस्ल की बकरी और बकरों की कीमत 260 रुपए प्रति किलोग्राम से 300 रुपए किलोग्राम से भी अधिक हो सकती है.
- जमुनापारी बकरी :- इस नस्ल की बकरियां ज्यादातर उत्तर प्रदेश राज्य में पाई जाती है और इस नस्ल की बकरियां सबसे ज्यादा दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है. यह बकरियां साल भर में एक बार ही प्रजनन करती है और इस नस्ल में ट्विंस बच्चे पैदा होने की संभावना बेहद कम होती है.इस नस्ल के बकरे की कीमत 300 रुपए प्रति किलोग्राम और बकरों की कीमत लगभग 400 रुपए प्रति किलोग्राम होती है.
- बीटल बकरी :- बीटल बकरी का नस्ल ज्यादातर हरियाणा और पंजाब क्षेत्र में पाया जाता है और यह जमुनापारी बकरी से भी ज्यादा दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है. यह ज्यादातर प्रजनन के समय ट्विंस बच्चों को पैदा करने की संभावनाएं रखती है और बकरी की बाजार में कीमत 250 रुपए प्रति किलोग्राम और बकरों की कीमत 300 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच में होती है.
- शिरोई बकरी :- इस नस्ल को ज्यादातर राजस्थान प्रांत में पाया जाता है और यह मांस और दूध दोनों ही के लिए ज्यादातर पालन पोषण पशुपालक किसान करते हैं. आमतौर पर इस नस्ल की बकरियां वर्ष में दो बार प्रजनन करती हैं और इसमें ट्विंस बच्चों की फायदा होने की संभावनाएं बेहद न्यूनतम होती है. बाजार में इस नस्ल के बकरों की कीमत लगभग 325 रुपए प्रति किलोग्राम और बकरी की 400 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच में होती है.
- अफ्रीकन बोर :- इस नस्ल का ज्यादातर उत्पादन पशुपालक किसान इस के मांस को बेचने के लिए ही करते हैं, क्योंकि इस नस्ल की बकरियों का वजन काफी अधिक आम बकरियों के नस्लों से होता है. यह करीब 1 साल में ट्विंस बच्चों को पैदा करने की अधिक संभावनाएं रखती हैं. इस नस्ल की बकरों की कीमत बाजार में 350 रुपए से लेकर 1500 रुपए के बीच में और बकरियों की 700 रुपए से लेकर 3500 रुपए के बीच में होती है. ज्यादातर इस नस्ल की मांग बाजार में अत्यधिक होती है.
बकरियों के पालन के लिए स्थान (Location)
बकरियों केपालन के लिए आपको एक आवश्यक स्थान की जरूरत पड़ेगी और इस स्थान का चुनाव करने के दौरान आपको निम्न बातों पर विशेष रूप से ध्यान देना है.
- स्थान का चयन :- पहले आपको एक ऐसे स्थान का चयन करना है, जहां पर ज्यादा शोरगुल या फिर प्रदूषण ना हो इसके लिए आपको ग्रामीण इलाका सबसे अच्छा है.
- शेड का निर्माण :- शेड के निर्माण के लिए आपको अवश्य के स्थान के साथ-साथ कम से कम ऊंचाई 10 फीट करवाना है और इसका इस प्रकार से निर्माण कराएं, कि इसमें आसानी से हवाएं आ जा सके.
- बकरियों की संख्या :- बकरियों के पालन के दौरान हमें अलग-अलग यूनिट बनाने चाहिए और प्रत्येक यूनिट में सम्मान संख्या की बकरियों को रखें और याद रहे कि आपको एक ही नस्ल की बकरी का पालन करना है.
- पेयजल :- आप चाहे तो शेड के अंदर की बकरियों को पेयजल की सुविधा प्रदान कर सकते हैं और बेहद आवश्यक सुविधाओं में से एक है.
- साफ सफाई :- जब ज्यादा संख्या में बकरियों का पालन किया जाता है तो उनके अधिक मल मूत्र के वजह से आसपास के उनके क्षेत्र में सफाई नहीं रहती और इसीलिए हमें इनके आसपास के क्षेत्र में विशेष रूप से सफाई का ध्यान देना चाहिए.
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रोग निवारण और वैक्सीनेशन
बकरी पालन के दौरान हमें इन्हें सुरक्षित रखना बेहद आवश्यक है और बकरियों में अनेकों प्रकार के रोग होते हैं, इनका निवारण करना भी जरूरी है. बकरी रोग और उनका निवारण इस प्रकार है.
- पांव और मुंह का रोग :- बकरियों के सभी नस्लों में पांव और मुंह रोग पाया जाता है. बकरियों के बच्चों के जन्म के 4 माह के बाद उन्हें इस रोग से संबंधित टीकाकरण किया जाता है और इसके बाद जब वैक्सीनेशन को 4 महीने पूरे हो जाते हैं, तब बकरियों को बूस्टर देने की आवश्यकता होती है और इस प्रकार से हर 6 महीने में इस रोग के रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन किया जाता है.
- गोट फ्लेग (पीपीआर) :- बकरियों में गोट फ्लेग सबसे खतरनाक बीमारी होती है और ज्यादातर इस बीमारी की वजह से बकरियों की मृत्यु संख्या भी बढ़ती है. इस रोग का रोकथाम करने के लिए बकरियों के जन्म के 4 महीने बाद इसका वैक्सीनेशन किया जाता है और इस प्रक्रिया को हर 4 साल बाद बकरियों में वैक्सीनेशन के रूप में पूर्व की जाती है.
- हेमोरेगिक सेप्टीसीमिया (एच एस) :- ज्यादातर यह रोग बकरियों में नहीं कहलाता है, परंतु फिर भी इसके होने पर बकरियों की नस्लों में काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है. बीमारी के रोकथाम के लिए बकरियों को जन्म के बाद 3 से 6 महीने के बाद इसका टीकाकरण दिया जाता है और प्रति वर्ष मानसून से पहले इसका टीका बकरियों में देना सबसे उचित माना जाता है.
- गोट पाक्स :- यह बीमारी बकरियों में बहुत ही ज्यादा भयावह होती है और इसको रोकथाम करना बेहद जरूरी होता है. इस रोग के रोकथाम के लिए बकरियों को जन्म के कम से कम 3 से 5 महीने की आयु में ही इसका टीकाकरण करवाना आवश्यक होता है और इस रोग का प्रत्येक वर्ष वैक्सीनेशन भी दिया जाता है.
- एंथ्रेक्स :- एक घातक रोग है और यह ज्यादातर बकरियों में बहुत ही कम संभावनाओं में होता है, परंतु इसके रोकथाम समय पर करना ही हमें अपने बकरियों को बचाने के लिए सुरक्षित रहता है.
बकरी पालन के व्यापार का पंजीकरण या लाइसेंस (License and Registration)
किसी भी प्रकार के व्यवसाय को यदि लाइसेंस और पंजीकरण के माध्यम से शुरू किया जाए तो वह काफी ज्यादा विश्वसनीय और सत्यता पूर्ण माना जाता है. लिहाजा इस दृष्टिकोण से अपने बकरी पालन के व्यापार को प्रारंभ करने के लिए आपको उद्योग आधार और एमएसएमई के अंतर्गत पंजीकृत करवाना अनिवार्य होगा और इस प्रकार से आप अपना बकरी पालन का व्यापार बिना किसी रूकावट के शुरू कर सकते हैं.
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बकरियों का व्यवसाय शुरू करने के लिए कुल लागत (Investment)
हमें कम से कम 50 बकरियों को पालना ही पड़ता है, तभी कुछ मुनाफा होने की संभावनाएं बढ़ती है. और प्रत्येक बकरियों की कीमत उसके वजन के आधार पर होती है, एक अच्छी नस्ल की बकरी के वजन का मूल्य करीब 350 से लेकर 400 प्रति किलोग्राम तक हो सकता है. इस दृष्टिकोण से हमें बकरी पालन से संबंधित सभी प्रकार के कार्यों को करने में और इस व्यापार को स्थापित करने में लगभग 8 से 10 लाख रुपए का न्यूनतम निवेश करना ही होगा.
बकरी पालन के व्यापार को शुरू करने के लिए सरकार की तरफ से सहायता
भारत सरकार अपनी तरफ से अनेकों प्रकार की कृषि और पशुपालन से संबंधित योजनाओं को लाती रहती है और इसके लिए आपको अपने राज्य के पशुपालन विभाग में जाकर किसी भी प्रकार की सरकारी योजना के बारे में लाभ प्राप्त करने के लिए जानकारी को हासिल करना है और यदि सरकार आप के संबंधित कोई लाभ प्रदान कर रही है, तो आपको उस लाभ को अवश्य सरकारी तरफ से लेना चाहिए. सरकारी लाभ लेने से हमारा कुछ हद तक पशुपालन का भार कम हो जाता है.
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बकरी पालन के व्यापार में मुनाफा या लाभ (Profit)
इस व्यापार में लाभ थोड़े समय बाद हमें धीरे-धीरे मिलना शुरू होता है और यदि किसी विशेष त्यौहार या फिर शुभ अवसर पर हम अपने व्यापार को अच्छे से करते हैं, तो आराम से हम उन दिनों 50 हजार से 1 लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं. जितना ज्यादा आपकी बकरियां बच्चों को जन्म देगी उतना ही ज्यादा आपको मुनाफा होने की संभावनाएं रहती है.
बकरी पालन के व्यापार की मार्केटिंग (Marketing)
इस व्यापार की मार्केटिंग करना बेहद आवश्यक है, क्योंकि लाभ हमें इसी से प्राप्त होगा.हमें अपने इस व्यापार को प्रमोट करने के लिए अपने नजदीकी डेरी फॉर्म और मांस की दुकानों से संपर्क करना होगा. बहुत सी ऐसी दुकाने मिल जाएंगे जहां पर बकरी के दूध को वह खरीदते हैं और ऐसे में आप वहां पर अपने बकरी के दूध को बेच सकते हैं और आपको एक बड़ी संख्या में नजदीकी बाजार में मांस की दुकानें भी मिल जाएंगी, जहां पर आप अपने बकरी को बेचकर अच्छा और मोटा पैसा कमा सकते हैं.
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बकरी पालन के व्यापार में रिस्क (Risk)
हालांकि यह व्यापार थोड़ा अलग है, परंतु इसमें जोखिम होने की संभावना अत्यधिक नहीं होती, क्योंकि आजकल बाजारों में लोग बकरी बकरों और सभी प्रकार के मांस को खाना पसंद करते हैं, इसलिए इस क्षेत्र में इस व्यापार की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. हमारे भारत देश में ज्यादातर एक बड़ी आबादी की संख्या में लोग मांस खाना पसंद करते हैं और इसलिए इस व्यापार में रिस्क बिल्कुल ही न्यूनतम आपको मिलने वाला है.
हम इस व्यापार को करके अपने गांव घर से ही अच्छा पैसा कमा सकते हैं और इस व्यापार को बड़े स्तर पर भी करके अपने इनकम का एक बड़ा स्रोत बना सकते हैं.
FAQ
Ans : इस व्यापार को आप कहीं से भी शुरू कर सकते हैं.
Ans : यदि आप इस व्यापार से अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं, तो आपको अपनी बकरियों की समय-समय पर देखरेख करनी पड़ेगी.
Ans : पशुपालन से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही कुछ सहायता प्रदान करती है, परंतु इस विषय में आपको जानकारी नजदीकी पशुपालन विभाग से प्राप्त करनी होगी.
Ans : आपको अपने इस व्यापार को करने के लिए एमएसएमई के अंतर्गत पंजीकरण करवाना है, और फिर व्यापार का उद्योग आधार कार्ड भी बनवाना जरूरी है.
Ans : हमें कम से कम 8 से 10 लाख रुपए का निवेश करना ही होगा.
Ans : जी बिल्कुल, और व्यापार बढ़ने पर मुनाफा भी डबल हो सकता है.
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