कोरोनाकाल में जब सब जगह लॉकडाउन लगा हुआ था, उस दौरान सभी जगह के रेस्तौरेंट, होटल, ढाबे, चौपाटी आदि सब कुछ बंद हो गया था, जिसके चलते ऐसे लोग जोकि अपने घर से बाहर रहते हैं. उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. क्योंकि उनके पास पहुँचने वाली टिफिन सर्विस भी बंद हो गई है. ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों, छात्रों एवं पेशेवरों आदि की मदद ललिता पाटिल नाम की एक महिला ने की. आज हम इस लेख में इन्हीं की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने ऐसे लोगों की टिफिन की समस्या को तो दूर की ही साथ में उनके घर पर यह सर्विस भी पहुंचाई. और केवल 8 महीने में 25 लाख रूपये तक की कमाई कर ली. यह महिला कौन हैं एवं इसकी सफलता की कहानी क्या हैं इसे आप हमारे इस लेख के माध्यम से जा सकते हैं.
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कौन हैं ललिता पाटिल
‘खुशियाँ घर पर बनती हैं’ यह सोच रखने वाली ललिता पाटिल मुंबई के ठाणे में रहती हैं. यह केवल 35 वर्षीय महिला हैं. वे हमेशा से ही अपने अंदर एक उद्यमी को देखती थी. उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई भौतिकी में की, उन्हें कॉलेज में ही उनका जीवन साथी मिल गया और उन्होंने शादी कर ली. ललिता ने बताया कि वे हमेशा से ही आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहना चाहती थी, वे अपना खर्चा चलाने के लिए ट्यूशन लिया करती थी. उसके बाद उन्होंने एक नौकरी ज्वाइन की. लेकिन कुछ समय बाद वह भी छोड़ दी. उनकी यह सोच ‘खुद का मालिक बनो’ ने ही उन्हें अपना खुद का बिज़नेस शुरू करने के बारे में सोचने पर प्रेरित किया. जब ललिता ने इस पर काम करना शुरू किया तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें खाना पकाने के लिए अक्सर सराहा जाता है. फिर उन्होंने सन 2016 में ठाणे में ही एक छोटी सी टिफिन सर्विस शुरू की. यह सर्विस उन्होंने एक साल से भी ज्यादा समय तक चलाई.
ललिता तो हमेशा इस बात से निराश होती थी कि उसने अपने व्यवसाय को घर से ही चलाया जिसके कारण वे उनकी की तरह अन्य कामकाजी महिलाओं को उतना सम्मान नहीं मिला. उनका कहना था कि – ‘जब कोई महिला घर से काम करती हैं तो उसे गृहणी माना जाता है’ फिर उन्होंने फैसला किया कि वे काम करेंगी लेकिन अपने घर के बाहर से, और फिर उन्होंने अपने सबसे बड़े डर से सामना किया.
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सफलता की कहानी
एक दिन वह अखबार में एक विज्ञापन प्रतियोगिता में आई. ब्रिटानिया मैरी गोल्ड माई स्टार्ट अप को सन 2019 में एक एडवोकेसी पहल के रूप में लांच किया गया. जिसका उद्देश्य भारतीय महिलाओं की उद्यमशीलता की जर्नी की शुरुआत करना और प्रत्येक 10 विजेताओं को 10 लाख रूपये की बीज पूँजी के साथ वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करना था. सन 2019 की शुरुआत में ललिता ने इस कांटेस्ट में हिस्सा लिया और वे जीत भी गई, उन्हें पता था कि फूड स्टार्टअप को आकार देने के लिए पूँजी का उपयोग कैसे किया जाये. इस तरह से ललिता ने अपने व्यवसाय की फिर से शुरुआत की.
ललिता के पास पहले से ही उनके टिफिन सर्विस के दिनों का फ़ूड लाइसेंस था. उन्हें अपना स्वयं का रेस्तरां शुरू करने के लिए एक भौतिक सेटअप की आवश्यकता थी, और सब व्यवस्था करने में उन्हें तीन महीने लगे. वे एक लाख या थोड़ा अधिक नकद बचाने के लिए 6 लाख रुपये में सब कुछ करना चाहता थी. अपने बजट में एक दुकान ढूँढना शुरू में मुश्किल लग रहा था, क्योंकि ललिता अपने मिशन को पूरा करने के लिए एक अच्छा स्थान चाहती थी. जहां पर वे काम, अध्ययन एवं अन्य कारणों से अपने घरों से दूर रहने वाले लोगों को घर का बना भोजन उपलब्ध करा सकें. वे कहती थी कि वे बहुत सस्ती कीमतों पर स्वाददार घर का बना खाना उपलब्ध कराना चाहती है.
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इसके बाद फिर पिछले साल जुलाई में उन्होंने एक छोटा रेस्तरां खोला, जिसका नाम उन्होंने ‘घरची आठवन’ रखा. जिसका हिंदी में अर्थ होता हैं ‘घर की याद आना’. इस रेस्तौरेंट का नाम उन्होंने यह इसलिए रखा क्योंकि यहाँ पर बिलकुल घर जैसा खाना प्रदान किया जाता है. और यह लोगों के घर – घर भोजन प्रदान करने वाला एक रेस्तौरेंट हैं. ललिता का कहना था कि – ‘हम पारम्परिक एवं साधारण घर में पकायें जाने वाले व्यंजनों को पकाने में माहिर हैं, जो न केवल आपके पेट को सूट करता है बल्कि आपकी जेब को भी सूट करता है’. ललिता ने पहले ही दिन 1,200 रुपये कमाए लिए थे.
इस तरह से इनका बिज़नेस अच्छा चल रहा था कि फिर देश में कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी और सभी जगह लॉकडाउन लग गया. ललिता का यह बिज़नेस पूरी तरह से नुकसान में पहुंचने लगा था. किन्तु ललिता ने हार नहीं मानी और उन्होंने अपनी सूझ – बूझ दिखाई. उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों, छात्रों एवं पेशेवरों आदि के लिए अपने रेस्तौरेंट से टिफिन सर्विस शुरु की. और उनके घर – घर जाकर उन तक खाना पहुँचाया. इससे उन्हें काफी फायदा मिला. वे 3 – 3.5 लाख रुपये का मासिक राजस्व कमाने लगी थी और पिछले आठ महीनों में लॉकडाउन अवधि सहित 25 लाख रुपये तक की कमाई इन्होने कर ली.
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लॉकडाउन से निपटना
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब मार्च महीने से कॉविड – 19 के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की. तब फिर ‘घराची आठवन’ को अपमा काम रोकना पड़ा. लेकिन ललिता, जिन्होंने जीवन में कठिनाइयों को देखा है – खासकर जब उनके पति को मिलने के लिए एक ऑटोरिक्शा की सवारी करनी पड़ी, जिससे उन्हें डर नहीं लगा. उन्होंने एक योजना बनाई उन्होंने अपना फ़ोकस को शिफ्ट करने का फैसला किया, और हॉस्टल और पीजी में छात्रों और कामकाजी पेशेवरों के साथ मेडिकल स्टाफ और केमिस्ट जैसे आवश्यक क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए टिफिन सर्विस शुरू कर दी. क्योंकि इन लोगों को इस दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था.
ललिता का रेस्तरां बंद होने कारण वे खाना पकाने में असमर्थ थी, भोजन पकाने का स्रोत नहीं था. किन्तु ललिता ने अपने घर से यह काम शुरू किया और उस दौरान वे हर रोज करीब 50 – 100 लोगों को टिफिन सेवा प्रदान कर रही थी. इसके चलते लॉकडाउन उनके लिए उपयोगी साबित हो गया. वे प्रतिदिन 8 से 15 हजार रूपये तक कमाने लग गई थी. उन्होंने पार्सल और टेकअवे मॉडल भी तैयार किया, ताकि वे लोगों के घर तक खाना पहुँचा सकें. हालाँकि बहुत से लोग उनके घर भी आकार खाना ले जाते थे. लॉकडाउन के पहले उनके साथ 8 लोग काम करते थे किन्तु लॉकडाउन के दौरान वे अकेली थी.
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भविष्य में प्लान
ललिता जो कि एक 13 वर्षीय बच्चे की माँ है, वे अब मुंबई और इसके उपनगरों में अपने अधिक रेस्तरां खोलने के लिए 60 लाख रुपये की बाहरी फंडिंग करने की योजना बना रही हैं. उनका कहना है कि वे औद्योगिक क्षेत्रों, रेलवे स्टेशनों आदि में कम से कम पांच ‘घरची अठावन’ आउटलेट खोलना चाहती हैं और अगले पांच वर्षों में 14 आउटलेट्स का लक्ष्य रख रही हैं. उनके लिए ‘घरची आठवन’ सिर्फ एक रेस्तरां नहीं है बल्कि यह उनका सपना है. उनका कहना है कि वे एक दिन एक बिजनेस लीडर के रूप में जानी जाये, न कि एक गृहिणी के रूप में. जिस तरह से बिसलेरी मिनरल वाटर का पर्याय है, वैसे ही वे घर के बने भोजन का पर्याय बन जाना चाहती हैं.
तो ललिता ने जिस तरह से कठिन वक्त को भी आसान बनाते हुए अपनी खुद की एक पहचान बनाने के लिए काम किया और अपने बिज़नेस से उन्होंने अच्छी खासी कमाई की. उसी तरह से आप भी खुद आत्मनिर्भर बनकर पैसे कमा सकते हैं.
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